क्या नहीं पाया है तुम्हारा साथ पा कर
यूँ रंगीन बना है मेरा जहान आज
क्या इसी को किस्मत हैं कहते
के आप हो गये हैं मेरी ज़िन्दगी का ताज |
यह हाथों की लकीरों में था लिखा
यह रास्तों पर हैं निशाँ बना हुआ
यह जाते हैं सब उस मँज़िल की ओर
हमें बाँधे है जहाँ प्रेम की डोर |
Labels: love, Poetry
3 Comments:
u r writing what m feeling and perhaps i m writing what u r feeling :)
By delhidreams, at 11/27/2006 1:08 AM
wish life could stay like this...
By delhidreams, at 11/27/2006 1:09 AM
u know what, u cud call it a coincidence, but the next post will be titled 'braile' all about the touch, her touch...hathon ki lakeeron mein behta hua mera pyaar aur uska naam...
By delhidreams, at 11/27/2006 1:12 AM
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