yaad....
उस ढल रहे सूरज से पूछो
क्यूँ जाता है यूं छोड कर
उस निकलते हुए चाँद से पूछो
क्यूँ आता है किसी की याद ले कर
उन तारों की जगमगाहट में भी
अंधेरों में घिरे रेहते हैं हम
इटनी भीड के आस पास होते हुए भी
क्यूँ खुद को तन्हा पाते हैं हम
एक सफ़र में सफ़र कर रहे
रासते तो आगे बढते जाते हैं
उन बिछडी बातों की यादों में
हम उलटा कदम पीछे को बढाते हैं
क्यूँ जाता है यूं छोड कर
उस निकलते हुए चाँद से पूछो
क्यूँ आता है किसी की याद ले कर
उन तारों की जगमगाहट में भी
अंधेरों में घिरे रेहते हैं हम
इटनी भीड के आस पास होते हुए भी
क्यूँ खुद को तन्हा पाते हैं हम
एक सफ़र में सफ़र कर रहे
रासते तो आगे बढते जाते हैं
उन बिछडी बातों की यादों में
हम उलटा कदम पीछे को बढाते हैं
4 Comments:
yadon se ghire rehna is not always a good thing...
memories shud bring u smiles....not tears....lve ya
By Anonymous, at 6/30/2006 12:44 PM
well they bring us both!
smiles for that lovely time .... n tears for having an emptiness around me right now....
donno how long will it be before it gets filled...
By meet_me, at 7/03/2006 1:02 AM
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By Anonymous, at 2/14/2007 1:07 PM
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By Anonymous, at 3/01/2007 8:28 AM
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