My world...dreams and questions....

Tuesday, June 27, 2006

yaad....

उस ढल रहे सूरज से पूछो
क्यूँ जाता है यूं छोड कर
उस निकलते हुए चाँद से पूछो
क्यूँ आता है किसी की याद ले कर

उन तारों की जगमगाहट में भी
अंधेरों में घिरे रेहते हैं हम
इटनी भीड के आस पास होते हुए भी
क्यूँ खुद को तन्हा पाते हैं हम

एक सफ़र में सफ़र कर रहे
रासते तो आगे बढते जाते हैं
उन बिछडी बातों की यादों में
हम उलटा कदम पीछे को बढाते हैं

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